Ujjain 84 Mahadev Yatra 0.1 APK

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Developer
Pratibha Softech call +919425985098
Current Version
0.1
Date Published
File Size
~50M
Package ID
com.wUjjain84MahadevYatra
Price
$ 0.00
Downloads
268+
Category
Android Apps
Genre
Communication

APK Version History

Version
0.1 (*)
Architecture
all
Release Date
September 12, 2015
Requirement
Android 2.3
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About Radio FM 90s

चौरासी महादेव का महत्व
महाकाल की नगरी उज्जैन स्थित 84 महादेवों की अर्चना श्रावण माह में विशेष रूप से की जाती है जब पुरुषोत्तम मास (अधिक मास ) आता है, तब भी दर्शन यात्रा की जाती हैं । स्कन्द पुराण के अनुसार ८४ लाख योनियों का भ्रमण करते हुए, मानव योनि में आते है, तो मानव योनि में आने के बाद में ८४ लाख योनियों के भ्रमण में , हम से जो भी दोष हुआ हो , तो इन ८४ महादेव के दर्शन करने से सारे दोषो का निराकरण होता है। ऐसा कहा जाता है की प्रलय होने पर ८४ महादेव ही अचल रहेंगे।

सप्तसागर यात्रा

स्कंद पुराण मे अवन्ति खंड के अनुसार , अवंतिका (उज्जैन) मे सप्तसागर के अस्तित्व के बारे में बताया गया है मराठा के समय से , सप्तसागर के नाम इस प्रकार है , रुद्रसागर , पुष्करसागर ,गोवर्धनसागर , पुरूषोत्तमसागर ,विष्णुसागर ,क्षीरसागर ,रत्नाकरसागर , यह सागर जल की पवित्रता और हिन्दू रीति रिवाज की अनुभूति के बिंदु है और उज्जैन शहर का गौरव बढ़ते है , हर सागर मे दान का अपना एक अलग महत्व हैं ।

नौ नारायण मंदिर

पुरुषोत्तम मास में जहाँ दान धर्म आदि करने का उल्लेख पुराणों में किया गया है वहीं विभिन्न यात्राएँ भी इसी माह में होती है। नौ नारायण यात्रा प्रमुख है। नौ नारायणों के दर्शन करने से नौ ग्रहों की शांति हो जाती है। इनकी पंचोपचार पूजा करना चाहिए। पूजा या यात्रा के साथ दान का भी महत्व शास्त्रों में बताया गया है। नौ नारायण भगवान विष्णु के दशावतारों के विभिन्न स्वरूप हैं। ये नौ स्वरूप उज्जैन में ही विराजित है।

पंचक्रोशी यात्रा (वैशाख कृष्ण दशमी से वैशाख अमावस्या)

छह दिनों तक चलने वाली पंचक्रोशी यात्रा 118 किलोमीटर दूरी तय करती है ।

उज्जैन , देवी पार्वती के लिए भगवान शिव द्वारा बनाया गया था और उनके साथ चार द्वार पाल , शहर की रक्षा करने के लिए चारों दिशाओं में नियुक्त किए गया थे । पूर्व मे पिंगलेश्वर ,पश्चिम मे बिल्वकेश्वर , उत्तर मे दुर्दुश्वर , दक्षिण मे कायावरोहणेश्वर है । उज्जैन का आकार चोकोर है , क्षेत्र के रक्षक देवता श्री महाकालेश्वर का स्थान मध्य बिन्दु में है , इस बिन्दु से चार -चार कोस के अंतर से मंदिर स्थित है । जो दुवारपाल कहलाते है ।

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